टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है ?
हिंदी में
What is technical analysis?
In hindi
शेयर मार्केट को कोई भी इन्वेस्टर यह सत प्रतिशत नहीं बता सकता कि किसी स्टॉक की फ्यूचर प्राइस क्या होगी या स्टॉक ऊपर जाएगा या स्टॉक नीचे जाएगा
शेयर की फ्यूचर प्राइस का पता लगाने के लिए शेयर का एनालिसिस किया जाता है। एनालिसिस करके शेयर की फ्यूचर प्राइस की संभावना व्यक्त की जाती है।
शेयर मार्केट में किसी शेयर का एनालिसिस दो तरीकों से किया जाता है
1. Fundamental analysis
2. Technical analysis
इस पोस्ट में हम टेक्निकल एनालिसिस के बारे में जानेंगे की टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है?
टेक्निकल एनालिसिस कैसे किया जाता है?
टेक्निकल एनालिसिस की सीमाएं क्या है?
What is technical analysis ?
टेक्निकल एनालिसिस क्या होता है?
टेक्निकल एनालिसिस में किसी स्टॉक की कुछ पिछले कुछ महीनों, हफ्तों, और दिनो के हिस्ट्री डाटा या पास्ट परफॉर्मेंस के चार्ट और वॉल्यूम को देखकर स्टॉक की फ्यूचर प्राइस का अंदाजा लगाया जाता है कि स्टॉक की फ्यूचर प्राइस क्या होगी? क्या स्टॉक ऊपर जाएगा या नीचे जाएगा?
How is technical analysis done?
टेक्निकल एनालिसिस कैसे किया जाता है ?
किसी स्टॉक का टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए चार्ट का उपयोग किया जाता है इन चार्ट में किसी स्टॉक की पासट प्राइस मोमेंट का एनालिसिस किया जाता है उसके आधार पर फ्यूचर प्राइस का पता किया जाता है। चार्ट कई प्रकार के होते हैं जैसे
Candlestick chart
Line chart
Bar chart
किसी स्टॉक का टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए अधिकतर कैंडलेस्टिक चार्ट का उपयोग किया जाता है। कैंडलेस्टिक चार्ट कई कैंडल्स से मिलकर बना होता है तथा प्रत्येक कैंडल एक समय पीरियड में किसी शेयर के प्राइस मूवमेंट को बताती है। फिर मल्टीपल कैंडल्स का उपयोग करके चार्ट को पढ़ा जाता है।
कैंडलेस्टिक चार्ट को पढ़ने के लिए इंडिकेटर का भी प्रयोग किया जाता है इंडिकेटर एक तरह का प्रोग्राम होता है जो किसी चार्ट में प्राइस और वॉल्यूम के पास्ट डाटा को एनालिसिस कर को फ्यूचर प्राइस की संभावना को बताता है।
What are the limitations of technical analysis ?
टेक्निकल एनालिसिस की सीमाएं क्या है?
टेक्निकल एनालिसिस में शेयर की अतीत प्राइस को देखकर ही फ्यूचर प्राइस का पता लगाया जाता है लेकिन किसी भी कंपनी के शेयर की प्राइस कंपनी में होने वाले फाइनेंसियल चेंजेज के कारण भी शेयर की प्राइस बदलती है तो टेक्निकल एनालिसिस से यह पता नहीं चलता है, जिसके कारण टेक्निकल एनालिसिस से पता की गई संभावना कई बार गलत हो जाती है।
टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग शॉर्ट टर्म इन्वेस्टिंग के लिए और ट्रेडिंग के लिए किया जाता है। और शॉर्ट टर्म में से शयरों की प्राइस बहुत ज्यादा वोलेटाइल या ऊपर नीचे होती है जिसके कारण इसमें बहुत ज्यादा रिस्क भी होता है। इसकी सहायता से लॉन्ग टर्म इन्वेस्टिंग का डिसीजन नहीं किया जा सकता है।
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